अनसुनी सच्चे प्रेम की कहानी | Hindi Ki Kahani|

       

                   अनसुनी सच्चे प्रेम की कहानी




विभा और विराज दोनों एक ही मोहल्ले में रहते थे। बचपन में साथ साथ खेलते, स्कूल जाते। दोनों के परिवारों का आपस में प्यार भी बहुत था। इसीलिए मेला देखने जाना हो, रामलीला देखनी हो या फिर कभी कभार सिनेमा जाना हो तो दोनों परिवार इकट्ठे ही जाते थे।

विभा के परिवार में उसकी दादी को मिलाकर कुल पाँच  सदस्य थे। उसके पिता जी पेशे से एक टीचर थे और माँ हाउस वाइफ थी। विभा से छोटी उसकी एक बहन थी जिसका नाम ख़ुशी था। बहुत ही संस्कारी परिवार था। दादी सुबह शाम भजन कीर्तन कर परमात्मा का नाम जपती रहती। विभा की माँ सुशीला जी एक कुशल गृहणी होने के साथ साथ अच्छी माँ भी थी। उन्होंने अपनी दोनों बेटियों को हर अच्छे बुरे की शिक्षा दी थी। घर बाहर किसी भी तरह की समस्या उन्हें होती तो माँ से बात करके झटपट हल मिल जाता था।


विभा ने 8th में ही तय कर लिया था कि उसे आई.ए.एस. ऑफिसर बनना है। पढ़ाई में वो बहुत इंटेलीजेंट थी। उसके परिवार में सबको उस पर भरोसा था कि वो अपना सपना जरूर पूरा करेगी।

आँखों में ऑफिसर बनने का सपना पाले विभा बड़ी हो रही थी। विभा मोहल्ले की सबसे सुन्दर लड़की थी । लम्बे घने बाल, गोरा रंग, खिलखिलाता चेहरा। किसी परी से कम नहीं थी वो। जो उसको देखे बस देखता ही रह जाए। स्कूल में भी हर लड़के की पसंद थी विभा। लेकिन विभा इन सब बातों से बेखबर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती जा रही थी।

उसने 12th में पूरे शहर में टॉप करके अपने माँ बाप का नाम रोशन कर दिया। अब उसे आगे की पढ़ाई के लिए शहर से बाहर जाना था। एक बहुत ही अच्छे कॉलेज में उसका एडमिशन हो गया। बहुत सी हिदायतों के साथ उसे हॉस्टल दिलवाकर उसके मम्मी पापा वापिस आ गए।

घर वाले थोड़े निश्चिन्त इसलिए भी थे क्यूँकि उनके मोहल्ले का लड़का विराज भी तो उसी कॉलेज में पढ़ता था | जो विभा से एक साल सीनियर था। विराज के परिवार में उसके मम्मी पापा और एक छोटा भाई था।

विराज के पापा की शहर में कपड़ों की बहुत बड़ी और अच्छी दुकान थी। विराज भी पढ़ाई में बहुत अच्छा था उसे M. B. A. करना था इसीलिए उसने ग्रेजुएशन में कॉमर्स को चुना। वहीं दूसरी तरफ विभा non-medical की स्टूडेंट थी। दोनों का कॉलेज एक ही था।

विराज विभा के बचपन का दोस्त था इसीलिए विभा दिन में एक बार उससे जरूर मिलती थी। कोई भी प्रॉब्लम होती वो विराज को कह देती। ऐसे ही कॉलेज का एक साल बीत गया।

अब विभा नए माहौल में एडजस्ट हो चुकी थी। वो बहुत मेहनत कर रही थी। कॉलेज में उसकी अलग पहचान बन चुकी थी। इसके कई कारण थे पहला एक तो वो बहुत ही सुन्दर थी, एक उसकी सादगी और उसकी इंटेलीजेंसी के तो सभी कायल थे। हर कोई उससे दोस्ती करना चाहता था। हर टीचर की वो चहेती थी। अपनी माँ को जब ये सब बताती तो माँ को बड़ी ख़ुशी होती।

बहुत से लड़कों के ऑफर वो बड़े सलीके से मना कर चुकी थी। उसका ध्यान बस अपने सपने को पूरा करने पर था। इसी तरह एक साल और बीत गया। उस दिन विराज का कॉलेज में last दिन था वो विभा से मिला और उसे अपने दिल की सारी बातें बड़ी सादगी से कह डाली।

विराज ने कहा, “मुझे पता है कि तुम्हारी खूबसूरती से इम्प्रेस होकर लड़के आए दिन तुम्हें परपोज़ करते रहते हैं” लेकिन मैं सच कह रहा हूँ, मैं तुम्हारी सादगी को बचपन से ही पसंद करता हूँ। पहले मुझे लगा ये महज एक लगाव होगा जो अक्सर युवावस्था में हो ही जाता है लेकिन जैसे जैसे मैं मैच्योर हुआ समझ आया कि ये प्यार है।

कई बार तुमसे कहना चाहा लेकिन डरता था कि प्यार के चक़्कर में कहीं तुम्हारी दोस्ती से भी हाथ धो बैठूं। यकीन मानो अगर तुम इतनी खूबसूरत भी ना होती तो भी मैं तुम्हें इतना ही प्यार करता।

विभा उसे एक टक देखे ही जा रही थी। बीते सालों में न जाने कितने लड़कों को ना बोल चुकी थी लेकिन विराज का अचानक इस तरह से अपने प्यार का इजहार करना, उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या कहे।

फिर भी विराज को जवाब तो देना ही था। विभा ने कहा -विराज तुम बहुत अच्छे लड़के हो। तुम जिसे मिलोगे वो लड़की बहुत भाग्यशाली होगी लेकिन तुम तो अच्छी तरह जानते हो मुझे मेरे सपने पूरे करने हैं। लाइफ में कुछ करना है। प्यार व्यार के चक़्कर में पड़ गई तो कुछ नहीं कर पाऊँगी। 

विराज ने कहा कि कौन कहता है तुम अपने सपने पूरे ना करो। तुम वो सब करो जो करना चाहती हो। मैं अपने मन की बात तुम्हें आज भी नहीं कहता लेकिन मुझे M. B. A. करने लंदन जाना है। जाने से पहले तुम्हें सब कह देना चाहता था।

मैं तुम्हारी हाँ का इंतज़ार करुँगा विभा! इतना कहकर विराज वहाँ से चला जाता है। विभा थोड़ी उदास हो जाती है। फिर सोचती है कि अगले हफ्ते घर जाऊँगी तो माँ को सब बता दूँगी।



अगले हफ्ते विभा घर चली गई। अबकी बार थोड़ी खोई खोई सी थी। माँ ने ये बात तुरंत भाँप ली कि कोई तो बात है जो विभा बेचैन लग रही है।

डिनर के बाद सब काम निपटाकर माँ बेटी छत पर चली गई। वहाँ जाकर माँ ने विभा से उसकी परेशानी का कारण पूछा तो विभा ने झट से वो सब बातें बता दीं जो विराज और उसके बीच में हुई थी।

विराज एक अच्छा लड़का था, घर में सभी उसे पसंद करते थे। उसकी माँ ने विभा को समझाया अभी तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो इसमें परेशान होने वाली कोई बात नहीं है।

विराज अच्छा लड़का है तुम दोनों सेटल हो जाओ उसके बाद रिश्ता करने में कोई हर्ज नहीं है। देखा परखा लड़का है। परिवार भी अच्छा है। अपनी माँ को सब बताने के बाद उसके मन का बोझ हल्का हो गया। अपनी माँ को प्यार भरी झप्पी देकर वो सोने चली गई।

कुछ दिनों बाद विभा को अगले सेशन के लिए कॉलेज जाना था। सारी तैयारियां करके उसके मम्मी पापा उसे हॉस्टल छोड़ने चले गए। इस साल तो विराज भी नहीं था वहाँ, इसीलिए उसके मम्मी पापा को उसकी थोड़ी चिंता हो रही थी लेकिन अपनी बेटी की समझदारी पर विश्वास भी बहुत था।

विभा को भी विराज के बिना अच्छा नहीं लग रहा था। उसने अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर लगा लिया वो कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती थी। कॉलेज का लास्ट ईयर था वो पूरी तरह पढ़ाई में रम गई। एक दिन सोहेल नाम के लड़के की नजर विभा पर पड़ी। वो उसकी खूबसूरती देखकर पागल हो गया

Vibha & Viraj

अगले ही दिन उसने विभा को परपोज़ कर दिया। विभा ने बड़े ही सलीके से उसे मना कर दिया। लेकिन अमीर घर का इकलौता साहिबजादा तो ज़िद्द पर अड़ गया कि उसे तो विभा किसी भी कीमत पर चाहिए।

वो हर रोज उसे परेशान करने लगा। विभा बहुत तंग हो गई थी उसकी हरकतों से। वो परेशान रहने लगी थी। इसका असर उसकी पढ़ाई पर भी पड़ रहा था। सोहेल उसे किसी भी कीमत पर पाना चाहता था। जब वो नहीं मानी तो उसने विभा के चेहरे पर एसिड फेंकवा दिया।

इस हादसे के बाद विभा की जिंदगी बदल गई। उसने जीने की उम्मीद छोड़ दी। हमेशा हँसती रहने वाली विभा की आँखों से आँसू नहीं सूखते थे। उसके परिवार से उसकी हालत देखी नहीं जाती थी। दो साल बीत गए लेकिन विभा तो जैसे पत्थर बन गई थी। उसका आत्मविश्वास खो चुका था। अपने आप को शीशे में देखने से डरती थी।

इन्हीं सबके बीच विराज का आना हुआ। जब उसे विभा की हालत का पता चला तो उससे मिलने चला आया। विभा की ऐसी दुर्गति देखकर वो अंदर तक हिल गया। उसने अपने आपको बड़ी मुश्किल से संभाला।

बिल्कुल नार्मल होकर पहले की तरह बातचीत की और अगले ही दिन अपने मम्मी पापा के साथ विभा के साथ शादी का प्रस्ताव लेकर विभा के घर आ गया।

विभा के परिवार वाले उनकी अच्छाई से अभिभूत हो गए। विभा ने विराज से अकेले में बात करने की इच्छा जताई।

विभा ने विराज से कहा कि तुम क्यूँ अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहे हो तुम्हें तो एक से एक लड़की मिल जाएगी, विराज! तुम्हे मुझसे सहानुभूति है तुम इसीलिए मुझसे शादी कर रहे हो ना।

विराज ने कहा-हाँ मानता हूँ कि एक से बढ़कर एक लड़की मिल जाएगी लेकिन तुम, तुम हो विभा। मैनें तुम्हें चाहा है केवल तुम्हें। मैं तुम्हें आज भी उतना ही प्यार करता हूँ जितना पहले करता था और तुमने जो सपना देखा था वो तुम अब भी पूरा कर सकती हो। मैं तुम्हारे साथ हूँ।

विभा की आँखों से आँसू बहने लगे। वो विराज के गले लगकर खूब रोई। रोते रोते कह रही थी मैं दुनिया की सबसे खुशनसीब लड़की हूँ जो तुम जैसा हमसफ़र मिला।


moral  -  प्यार कुदरत का दिया हुआ एक अनमोल तोहफा है। अपनी जिंदगी में हर कोई किसी न किसी से कभी न कभी प्यार जरूर किया होगा। एक सच्ची मोहब्बत की कोई उम्र नहीं होती है। मोहब्बत एक ऐसी चीज है जिसे बयां करने की जरूरत नहीं होती है, बल्कि ये निगाहों से खुद-ब-खुद बयां हो जाती है।




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